Thursday 24 September 2015

Dastan-e-Mulla Nasiruddin

https://adf.ly/1Oq363





वह अमीरों के लिए सिरदर्द था। वह हमदर्द था भूखे-नंगे और व्यवस्था से दुखी लोगों का। वह सारे काम अपने तरीके से करता था-बिना किसी स्वार्थ के। वह मसखरा नहीं, एक फक्कड़ और नेकदिल इन्सान था। उसकी नजर में दुनिया भर में अगर कोई सबसे पाक था, तो वह था बुखारा-उसकी मातृभूमि।

दास्तान-ए-मुल्ला नसरुद्दीन

मुल्ला नसरुद्दीन का नाम जुबां पर आते ही हमारे दिल-दिमाग में एक मुस्कराता सा चेहरा उभर आता है। ज्यादातर लोग यही समझते हैं कि वह गुजरे जमाने का कोई मसखरा नहीं बल्कि एक फक्कड़ शख्स था, जो बुखारा की उस समय की अन्यायपूर्ण व्यवस्था का सबसे प्रबल विरोधी था।
वह सिरदर्द था अमीरों का क्योंकि वह अन्याय के खिलाफ लोगों में जागृति पैदा कर रहा था। वह दुश्मन था सूदखोरों का, जो जोंक की भांति गरीब रिआया का खून चूस रहे थे।
वह निःस्वार्थ परोपकारी था। अमीरों, सूदखोरों और भ्रष्ट राजदरबारियों को कंगाल करके वह उस दौलत को गरीबों में बांट दिया करता था।

डाऊनलोड करें - मुल्ला नसरुद्दीन

2 comments:

  1. अगर किसी भी सज्जन को कोई विशेष पुस्तक चाहिए तो कृपया बताएं। आपको वह पुस्तक उपलब्ध करने की कोशिश करेंगे।

    ReplyDelete
  2. भाई शर्लोक होल्म्स मिलेगी क्या हिंदी मे

    ReplyDelete