Wednesday 23 September 2015

झील के उस पार- गुलशन नंदा



‘झील के उस पार’ वह उपन्यास था जिसका हिन्दी पुस्तक प्रकाशन के इतिहास में शायद ही इससे पहले इतना जबर्दस्त प्रोमोशन हुआ हो। देश भर के अखबारों, पत्रिकाओं, रेडियो पर प्रचार के अलावा होटल, पान की दुकान से लेकर सिनेमाघरों तक प्रचार किया गया। प्रचार में इस बात का भी खुलासा किया गया कि पहली बार हिन्दी में किसी पुस्तक का पहला एडीशन ही पांच लाख कापी का छापा गया है।

गुलशन नंदा हिन्दी में लुगदी साहित्य के सबसे ज़्यादा बिकने वाले लेखक रहे।  वे  60 से लेकर 80 के दशक तक, की दर्जनों सिल्वर जुबिली, गोल्डन जुबिली फिल्मों के लेखक थे। हिन्दी साहित्यकारों के बीच एक उपेक्षत नाम और उस दौर की युवा पीढ़ी के लिए आराध्य एवं आदर्श लेखक गुलशन नंदा के अनेक बहुचर्चित उपन्यास थे-  जलती चट्टान, नीलकंठ, घाट का पत्थर, गेलार्ड, झील के उस पार, पालेखां आदि।

डाऊनलोड करें- झील के उस पार

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