Nirbandh (Mahasamar 8) by Narendra Kohli
महासमर सीरीज़ का आखिरी उपन्यास
पाठक पूछता है कि यदि उसे महाभारत की कथा पढ़नी है तो वह व्यासकृत मूल महाभारत ही क्यों न पढ़े, नरेन्द्र कोहली का उपन्यास क्यों पढ़े ? वह यह भी पूछता है कि उसे उपन्यास ही पढ़ना है, तो वह समसामयिक सामाजिक उपन्यास क्यों न पढ़े, नरेन्द्र कोहली का ‘महासागर’ ही क्यों पढे़ ?
‘महासागर’ हमारा काव्य भी है, इतिहास भी और अध्यात्म भी। हमारे प्राचीन ग्रंथ शाश्वत सत्य की चर्चा करते हैं। वे किसी कालखंड के सीमित सत्य में आबद्ध नहीं हैं, जैसा कि यूरोपीय अथवा यूरोपीयकृत मस्तिष्क अपने अज्ञान अथवा बाहरी प्रभाव में मान बैठा है। नरेंन्द्र कोहली ने न महाभारत को नए संदर्भो में लिखा है, न उसमें संशोधन करने का कोई दावा है। न वे पाठको को महाभारत समझाने के लिए, उसकी व्याख्या कर रहे हैं। नरेन्द्र कोहली यह नहीं मानते कि महाकाल की यात्रा, खंडों में विभाजित है, इसलिए जो घटनाए घटित हो चुकी हैं, उनमें अब हमारा कोई संबन्ध नहीं है, उनकी मान्यता है कि न तो प्रकृति के नियम बदले हैं, न मनुष्य का मनोविज्ञान। मनुष्य की अखंड कालयात्रा को इतिहास खंड़ों में बाँटे तो बाँटे, साहित्य उन्हें विभाजित नहीं करता, यद्यपि ऊपरी आवरण सदा ही बदलते रहते हैं।
महाभारत की कथा भारतीय चिंतन और भारतीय संस्कृति की अमूल्य थाती है। नरेन्द्र कोहली ने उसे ही अपने उपन्यास का आधार बनाया है, जो उसे अपने बाहरी कथा मनुष्य के उस अनवरत युद्ध की कथा है, जो उसे अपने बाहरी भीतरी शत्रुओं के साथ निरंतर करना पड़ता है। वह उस संसार में रहता है, जिसमें चारों ओर लोभ, मोह, सत्ता और स्वार्थ संघर्षरत हैं। बाहर से अधिक, उसे अपनों से लड़ना पड़ता है। और यदि वह अपने धर्म पर टिका रहता है, तो वह इसी देह में स्वर्ग भी जा सकता है- इसका आश्वासन ‘महाभरत’ देता है। लोभ, त्रास और स्वार्थ के विरुद्ध मनुष्य के इस सात्विक उपन्यास के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।..और वह है ‘महासागर’। आठ खंडो में प्रकाशित होने वाले इस उपन्यास का यह आठवा और अंतिम खंड है। इस खंड के साथ यह उपन्यास श्रंखला पूर्ण हुई, जिसके लेखन में लेखक को पंद्रह वर्ष लगे हैं। कदाचित् यह हिंदी की सबसे बृहदाकार उपन्यास है, जो रोचकता, पठनीयता और इस देश की परंपरा के गंभीर चिंतन को एक साथ समेटे हुए है।
आप इसे पढ़े और स्वयं अपने आप से पूछें, आपने इतिहास पढ़ा ? पुराण पढ़ा ? धर्मग्रंथ पढ़ा अथवा एक रोचक उपन्यास पढ़ा ? इसे पढ़कर आपका मनोरंजन हुआ है ? आपका ज्ञान बढ़ा ? आपका अनुभूति-संसार समृद्ध हुआ ? अथवा आपका विकास हुआ ? क्या आपने इससे पहले कभी ऐसा कुछ पढ़ा था ?
thanX bro,,,,but ye part adhura hai,,,, please upload full part with all pages,,,,
ReplyDeleteJai Deep Bhai Link is not working
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteAdhuri Book.
Bhandhu,
Download full book.
Jaydeep bro please upload the full part of this book,,,,
ReplyDeletebecause is adhuri book ka koi fayda nahi hai,,,,
aur ho sake to please next part Anushangik v jald se jald upload kare...........
ThanX,,,,,,,,,,,,
Hi, Pls upload full book. Also this is not the last part of Mahasamar. Pls upload Part 9 as well. Great work. Thanks a ton for same. God Bless
ReplyDeleteJai Deep Bro. Jabab Nahi Dye
ReplyDeleteSorry dear. Mere paas is siriz ka itna hi hissa tha. Agar isase jyada mujhe jaise hi milta hai mai upload karunga. Sorry for that.
ReplyDeleteAur ha... mere paas mahabharat ki ek aur siriz hai jisme har part me mahabharat ko unke kirdaro ke najariye se likha gaya hai. Wo bhi jald hi upload karunga.
Thanks
ReplyDeleteBandhu ! Besabri Se Intjar
Rahega.
बन्धु !
ReplyDeleteयदि सम्भव हो तो सुरेन्द्र मोहन पाठक की विमल सीरीज की पुस्तकें उपलब्ध कराये. उत्तर अवश्य दें .
अजय जी
Deleteविमल सीरीज़ की पुस्तकें आपको जल्द ही उपलब्ध करवाऊंगा
पूरी पुस्तक upload करें.....और अंतिम भाग "आनुषांगिक" भी। कृपया ।
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete☺☺☺☺
Deleteबन्धु !
ReplyDeleteविमल सीरीज़ की पुस्तकें कब तक उपलब्ध करवायेगा.
Jai deep bro yanha uploaded book mahasamar nirbandh puri nai h , so pls upload full book.
ReplyDeleteBtother dwld links are not working
ReplyDeleteKuch Naya Upload Karo Bhai
ReplyDeleteAgr full book ho to upload karo bhai.
ReplyDeletebhai this is really great work,thanks alot ,but part 1 and 4 still not here please manage if you can.
ReplyDeleteभैया जी कृपया पूरी किताब को नेट पर डाले
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