वह अमीरों के लिए सिरदर्द था। वह हमदर्द था भूखे-नंगे और व्यवस्था से दुखी लोगों का। वह सारे काम अपने तरीके से करता था-बिना किसी स्वार्थ के। वह मसखरा नहीं, एक फक्कड़ और नेकदिल इन्सान था। उसकी नजर में दुनिया भर में अगर कोई सबसे पाक था, तो वह था बुखारा-उसकी मातृभूमि।
दास्तान-ए-मुल्ला नसरुद्दीन
मुल्ला नसरुद्दीन का नाम जुबां पर आते ही हमारे दिल-दिमाग में एक मुस्कराता सा चेहरा उभर आता है। ज्यादातर लोग यही समझते हैं कि वह गुजरे जमाने का कोई मसखरा नहीं बल्कि एक फक्कड़ शख्स था, जो बुखारा की उस समय की अन्यायपूर्ण व्यवस्था का सबसे प्रबल विरोधी था।
वह सिरदर्द था अमीरों का क्योंकि वह अन्याय के खिलाफ लोगों में जागृति पैदा कर रहा था। वह दुश्मन था सूदखोरों का, जो जोंक की भांति गरीब रिआया का खून चूस रहे थे।
वह निःस्वार्थ परोपकारी था। अमीरों, सूदखोरों और भ्रष्ट राजदरबारियों को कंगाल करके वह उस दौलत को गरीबों में बांट दिया करता था।
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ReplyDeleteभाई शर्लोक होल्म्स मिलेगी क्या हिंदी मे
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